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बीएचयू की भारतीय नारी और सरकार

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लड़कियों पर किया गया लाठीचार्ज सामान्य लाठीचार्ज नहीं है। यह लाठीचार्ज लड़कियों के आत्मसम्मान को नष्ट करने की मुहिम का हिस्सा है। लड़कियां निरन्तर चलने वाली छेड़खानी और यौन-उत्पीड़न के विरोध में शान्तिपूर्ण धरने पर बैठी थीं।उनके शरीर की स्वायत्तता पर हमला हुआ था ।वे चाहती थीं कि वी सी उनसे मिले और उनकी व्यथा-कथा सुने, क्या यह मांग अनुचित है। क्या सुरक्षा के मसले पर संस्था के मुखिया से मिलने की बात अनुचित है? क्या लाठी ही इसका उपाय है।वी सी लड़कियों की बात सुनकर उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दे सकते थे, इसके बजाय वे लड़कियों से नज़र चुरा रहे थे। इसके पीछे कुछ कारण हैं। ये रिपोर्ट आती रही हैं विश्वविद्यालय में लड़कियों को शाम होते ही हास्टल की बैरकों में बन्द कर दिया जाता है। मोबाइल ,मीट आदि पर पाबंदी है। लड़कियों के नागरिक अधिकारों और छात्र अधिकारों को बर्फ में लगा दिया गया है। विश्वविद्यालय को 'हिन्दुत्व की प्रयोगशाला'में बदल दिया गया है। सुबह-शाम भगवा ध्वज लेकर शाखा सदस्य वहां मार्च करते हैं। इस माहौल में लड़कियों को चुप रहना चाहिए लेक...