मोदी सरकार के 3 वर्ष ओर घोटालों की लम्बी होती फ़ेहरिस्त
तीन साल पहले 26 मई के दिन ही पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। तीन साल पूरे होने पर हमारी मोदी सरकार ने नया नारा दिया है। घोटालों की मार को ख़त्म करने का नारा देते हुए आयी भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद भी घोटाले और वित्तीय अनियमितताएँ जारी हैं। आज़ादी के बाद से बननी शुरू हुई घोटालों की फ़ेहरिस्त में इस बार भी कई बड़े घोटाले शामिल हुए हैं। जहाँ एक तरफ देश की कमान सम्भाल रहे नरेन्द्र मोदी ‘मेक इन इण्डिया’, ‘स्किल इण्डिया’ जैसे नारे देकर सबके विकास का राग अलाप रहे हैं, वहीं इसी राग के साथ देश के नेता-नौकरशाह जनता की गाढ़ी कमाई से ऐय्याशी के बाद भी अपनी धुन में घोटाले किये जा रहे हैं।
जरा नजर डालते हैं भाजपा के घोटाले की लिस्ट पर।
नोट - ये सिर्फ कुछ ही घोटालो की झलक है।
1- कारगिल ताबूत घोटाले, कारगिल उपकर दुरूपयोग घोटाला।
2- दूरसंचार प्रमोद महाजन - घोटाले (रिलायंस)
3-अरुण शौरी निजी खिलाड़ियों को बेलआउट पैकेज यूटीआई घोटाले
4- साइबर स्पेस इन्फोसिस लिमिटेड घोटाले
5- पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी आवंटन घोटाले
6- जूदेव घोटाले सेंटूर होटल में डील
7- दिल्ली भूमि आवंटन घोटाले
8- हुडको घोटाले राजस्थान में Landscams (राज)
9- बेल्लारी खनन और रेड्डी ब्रदर्स घोटाले
10- मध्य प्रदेश में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट घोटाले
11- कर्नाटक में भूमि आवंटन (येदियुरप्पा)
13-,पंजाब रिश्वत मामले
14- उत्तराखंड पनबिजली घोटाले
14- छत्तीसगढ़ खानों में भूमि घोटाले
15- पुणे भूमि घोटाले (भाजपा नेता नितिन गडकरी शामिल)
16- उत्तराखंड में गैस आधारित पावर प्लांट घोटाले
17- फर्जी पायलट घोटाले सुधांशु मित्तल और विजय कुमार मल्होत्रा
18- अरुण शौरी द्वारा वीएसएनएल विनिवेश घोटाला
19-अरविंद पार्क लखनऊ घोटाले
20- आईटी दिल्ली प्लॉट आबंटन घोटाले
21- चिकित्सा प्रोक्योर्मेंट घोटाले - सी पी ठाकुर
22- बाल्को विनिवेश घोटाले जैन हवाला मामले लालकृष्ण आडवाणी
23- 1998 खाद्यान घोटाला 35,000 करोड़
24- 2000 चावल निर्यात घोटाला 2,500 करोड़ का
25-,2002 उड़ीसा खदान घोटाला7,000 करोड का
26- 2003 स्टाम्प घोटाला 20,000 करोड़ का
27- 2002 संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला 600 करोड़ का
28- 2002 कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला 120 करोड़ का
29- 2001 केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला 1,000 करोड़ का
30-2001 UTI घोटाला 32 करोड़ का
31-2001 डालमिया शेयर घोटाला 595 करोड़ का
32- 1998 टीक पौधों का घोटाला 8,000 करोड़ का
33- 1998 उदय गोयल कृषि उपज घोटाला 210 करोड़ का
34-1997 बिहार भूमि घोटाला 400 करोड़ का
35- 1997 SNC पावार प्रोजेक्ट घोटाला 374 करोड़
36- 1997 म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला 1,200 करोड़ का
37- 1996 उर्वरक आयत घोटाला 1,300 करोड़ का
38- 1996 यूरिया घोटाला 133 करोड का ये 1999 से 2004 तक के बीजेपी सरकार के घोटाले हैं। मोदी सरकार के देखिये
39- अभी का व्यापम ,
40- छत्तीसगढ़ का 36000 करोड का चावल घोटाला ,
41- पंजाब का 12000 करोड का गेहुं घोटाला,
42- राजस्थान का माईंस घोटाला ,
43- मनुस्मृति का बुक्स घोटाला,
44- ललित गेट ,
45- गुजरात का जमीन घोटाला,
46- हेमा मालिनी जमीन घोटाला,
47 - एल ई डी बल्ब घोटाले
48- गुजरात में मोदी ने 1 लाख 25 हजार करोड का हिसाब सी नही दिया सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार ।
36000 करोड़ का चावल घोटाला छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री, उनका परिवार, उनके रिश्तेदार, स्टाफ, पीए सब शामिल, व्यापमं घोटाला, महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे का 206 करोड़ का घोटाला, 271 करोड़ का कार बाइक घोटाला हैदराबाद में वैंकया नायडू के पुत्र आरोपी, मोदी राज में गुजरात का 27000 करोड़ का टैक्स घोटाला, 1 रुपये मीटर के भाव अदानी को 16000 एकड़ जमीन का घोटाला। स्मार्ट सिटी की बिना किसी जमीनी आधार दस्तावेज वाली योजना के नाम पर 1 लाख करोड़ का आवंटन एक और घोटाला।साल 2015 फरवरी में पेट्रोल 63 रूपए लीटर और कच्चा तेल 45-50 डॉलर प्रति बैरल था अब जब कच्चा तेल 29 डॉलर प्रति बैरल पर है तो पेट्रोल के दाम 66 रूपए प्रति लीटर। ये है इनकी लूटनीति। पिछली सरकार ने 2G स्पेक्ट्रम का 20% भाग बेचा था 62000 करोड़ रुपए में, तब संघियों के फेवरेट CAG ने 1,76,000 करोड़ का घाटा बताया था, अब मोदी जी ने बचा हुआ 80% स्पेक्ट्रम 1,10,000 करोड़ में 20 साल की उधारी में बेच दिया जिसकी ब्याज सहित 21 लाख करोड़ कीमत थी, कहाँ गया घाटा?
पूँजीपति वर्ग की सेवा में लगी भाजपा सरकार के तमाम मंत्री पूँजीपतियों की सेवा में नतमस्तक होकर लगे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खुलेआम आईपीएल में निवेश करने वाले पूँजीपति ललित मोदी को लंदन भागने में मदद की। मामला सामने आने पर दलीलें पेश की गयी कि यह मदद महज मानवीय आधार के चलते की गयी थी क्योंकि ललित मोदी अपनी पत्नी का कैंसर का इलाज कराने लन्दन जा रहे थे और यह दीगर बात है कि बाद में वे समुद्र किनारे ‘हसीनाओं’ के साथ रंगरेलियाँ मनाते हुए अपनी फ़ोटो शेयर करते नज़र आये। राजस्थान की जनता के हाल बेशक बेहाल हों किन्तु ललित मोदी को मदद पहुँचाने में वहाँ की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे भी कभी पीछे नहीं रही थी, चाहे मामला राजस्थान में ज़मीन हड़पने में मदद करने का हो या ललित मोदी पर चल रहे मुकदमे में उनके दस्तखत करने का हो वसुन्धरा जी की सेवाएँ हमेशा हाज़िर रहीं। यह अकारण नहीं है कि हर पाँच वर्षों के बाद एक-एक नेता चुनाव के वक्त अपनी सम्पत्ति की घोषणा करता है और उसके बाद यह दस से बीस गुना बढ़ जाती है। ये इन मंत्रियों द्वारा अपने आकाओं की सेवा और हर सम्भव मदद का ही सुपरिणाम है। अगर गौर करें तो यह कोई हैरत वाली बात नहीं है क्योंकि सबसे बड़े भ्रष्टाचार यानी श्रम की लूट के द्वारा अर्जित मुनाफ़े में से ही धन हासिल करके और फिर इस पैसे को चुनाव में लगाकर ही ये नेता मंत्री अपने मुकाम तक पहुँचते हैं। सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार और घोटालों के द्वारा पूँजीपति घरानों की खुले हाथ से सेवा की जाती है। और हमारे “प्राचीन संस्कृति” को मानने वाले बन्धु इस अति प्राचीन दस्तूर को कहाँ छोड़ने वाले थे कि ‘एक हाथ दे और एक हाथ ले’।
अब यह जगजाहिर हो चुका है कि बड़े-बड़े नारों के साथ आयी केन्द्र की भाजपा सरकार न महँगाई दूर कर पायी न ही भ्रष्टाचार, न रोजगार के अवसर पैदा कर पायी और न ही अच्छे दिन ही ला पायी। 15 लाख की बात को तो स्वयं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जी ही अपने मुखारविन्द से चुनावी जुमला घोषित कर चुके हैं भले ही उनकी इस बात के लिए मोदी जी को न जाने किन-किन उपाधियों से विभूषित होना पड़ा।
वायदे तो रह गये धरे के धरे और अब भाजपा जनता को लव ज़िहाद, धर्मान्तरण, घर वापसी, देशद्रोह, गाय, जाति, धर्म, क्षेत्र जैसे मुद्दों में उलझाकर पूँजीपति घरानों की बढ़िया मैनेजिंग कमेटी साबित होने के काम में एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है। हर बार की तरह शिक्षा, रोज़गार, महँगाई दूर करने, ग़रीबी हटाने के नाम पर ‘वही ढाक के तीन पात’। इन तमाम मदों में घोटालों की झड़ी लगना ही बताता है कि इस मानवद्रोही व्यवस्था में इस तरह का भ्रष्टाचार अपरिहार्य है जो पूँजीपतियों को अवैध कमाई का मौका देने के साथ-साथ हर संभव सेवा उपलब्ध कराता है। ऐसे समाज में जहाँ हर काम लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने की बजाय निजी मुनाफ़े के लिए हो; उसमें भ्रष्टाचार ही हो सकता है। ये तमाम वित्तीय अनियमितताएँ और घोटाले इसी व्यवस्था के अभिन्न अंग हैं। जिस व्यवस्था में लोगों के श्रम का शोषण कानूनी हो उसके रहते घोटालों को होना ही है; असल में ये केवल पूँजीवादी व्यवस्था के ही उपोत्पाद (बाईप्रोडक्ट) हैं। स्थिति में इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला कि कुर्सी पर कौन बैठा है। वह चाहे मौनव्रतधारी मनमोहन हों या कभी न चुप होने वाले मोदी।
भाजपा सरकार जवाब दो!!!
SaHi hai
जवाब देंहटाएंSaHi hai
जवाब देंहटाएंYaar theek h
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